तुम चित्त हो
तुम चित्त हो, तुम चरित्र हो
तुम ही स्वाश हो, अश्रु मेरे
मन का विश्वास, मेरे जीवित होने का एहसास
तुम मेरी कल्पना हो और तुम ही यथार्थ
मेरी सृजनता में तुम हो
मेरी मन की धरातलता में तुम
मेरी आकांक्षाओं की लहर तुम हो
मेरी शाम तुम सहर तुम हो
मेरा मान हो तुम
मन के बंद गलियारों में ज्योत तुम हो
मेरे प्रत्येक प्रयत्न में प्रबल तुम हो
मेरे निर्जीव देह का बल तुम हो
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