यूं हमने खुदा मान लिया
क्या खुदा क्या बंदा
सब झोल झपाटा है
क्या ख्वाब और क्या हकीकत
जो हो रहा है वो सच है
या जो समझ नहीं आ रहा वो पहेली
समस्या तो ये गंभीर है
पर एक पैदायशी हुनर हम सब में है
जीने का, सीखने का और बेहतर करने का
क्या बेमिसाल चीज़ है "स्वाभाविक प्रवत्ति"
झुण्ड को तैरा कर ले जाती हैं,
कुछ मर जाती हैं , कुछ को मछलिया खा जाती हैं
उन्हें कौन सिखाता है ये सब, और कितने समय में
चंद महीनो की ज़िन्दगी है उनकी
कहना आसान है के भगवान या खुदा नाम की कोई चीज़
और कहना मुश्किल है के असल में ये ताना-बाना आखिर है क्या
और किस लिए, आखिर मकसद क्या है इस सब का
अगर कोई मकसद है भी तो
कैसे बने हम सब और क्यों बनें
हैरानी की बात नहीं के लोगों ने खुदा बना लिया
पहेली बुझाने के लिए कुछ तो मानना ही था
जिसकी ना समझ हो और ना अनुमान
जैसे गणित के गुरु जी कहा करते थे "के X हमने मान लिया है"
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