इन पैरोकारों से अब उद्धार न होंगे

अब फिर से कोई चमत्कार न होंगे 
करने को पापियों का सर्वनाश, अब कोई अवतार न होंगे 

खुद ही उठना होगा हमें, लड़खड़ाते कदमो से ही सही 
वरना बंद कभी मज़लूमों में अत्त्याचार न होंगे  

मंदिरों-मस्जिदों में बट चुकें हैं घर अपने 
दीवारें डहेंगीं नहीं तो आशियां आबाद ना होंगें 

परिंदो की शोहबत से ही कुछ सीख लो यारों  
वरना बंद जात-धर्म के ये हाहकार न होंगें 

इन परिंदो ने कभी मस्जिद तो कभी मंदिर को बनाया बसेरा अपना 
क्या ये मासूम हमसे समझदार न होंगे?

कहते हैं के हिम्मत करने वालो के कभी हार नहीं होती 
देश छोड़ो एक कोना भी ना बदलेगा जो हम खुद जलने को तैयार न होंगे 

कुछ दर्द पनपता हैं जो सीने में अगर, तो बचा लो वतन को 
के इन पैरोकारों से अब उद्धार न होंगे 

Comments