मोमबत्ती की तरह जलती ये ज़िंदगी
मोमबत्ती की तरह जलती ये ज़िंदगी हाथों में रेत सी फिसलती ये ज़िन्दगी जल जाना इसकी फ़ितरत है आंधी-तूफानों से तो शायद बच भी जाये पर अपनी किस्मत से कैसे बचे ये ज़िन्दगी इसे जलता देख भूल न करना के ये हमेशा ही रोशन रहेगी एक दिन सिर्फ पिघला हुआ मोम होगा, और लो बुझ चुकी होगी हाँ उस मोम से एक नयी शक्ल में, एक नए धागे से, एक नयी लो जलेगी पर वो लो नयी होगी, होगी वो एक नयी ज़िन्दगी उस मोम के पिघल जाने से पहले के किस्से उस ज़िन्दगी के होंगे जिस धागे की लो से वो जलती रही ॥