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एक नया पाकिस्तान मत मांगो

तुम मुझसे मेरा हर समान मांगो  मेरे तन का कपड़ा, मेरे हाथ की रोटी  मेरी रगो का खून, मेरे सर की छत्त  मेरी ज़मीन, मेरा आसमान मांगो  और जो भी हो ख्वाहिशें, वो सब मांगो  पर मत मांगो मुझसे हिस्सेदारी नफरत में  मेरी रूह हो जाये लहू-लुहान वो ज़बान मत मांगो  मैं टूट के, बिखर के;  उठ जाऊँ कंधो पे तुम्हारे  ऐसा उफान मत मांगो  मुझसे मेरा  जहान  ले लो  पर किसी मासूम की जान मत मांगो  मुझसे मेरा हिंदुस्तान ले लो  पर फिर से एक नया पाकिस्तान मत मांगो

फिज़ूल शायरी

__________ __________ __________ __________ आज जोश की नयी लहर उठ रही है  लगता है ज़िन्दगी मेरे इशारो पे चल रही है  हवा के घोड़ो पे दौड़ते मेरे दिन  और पहली बार लगता है लगाम भी मेरी है  ये तेरे होने की वजह से है या कुछ और  पर जो भी है, आज मेरी बेफिक्री का नशा ही अलग है  __________ __________ __________ __________ सब कुछ वैसा ही है,  फिर भी कुछ कमी सी है लोग वही शहर वही, फिर भी ये शाम उदास है; थमी सी है  पर एक तस्सली है इस शाम में  के दूर उस शहर में सुबह ख़ुशनुमा होगी  ये शाम मेरी हुई पर वो सुबह, वो सुबह तेरी होगी  __________ __________ ______ ____ __________ अब वक़्त बिछड़ने का था, सोचा चंद बातें करें  फिर सोचा चलो जाने दो क्यों लफ्ज़ ज़ाया करें  तुम्हारे हिस्से का वक़्त तो तुम्हे दे ही चुके हैं  और बची बातें, वो मैं रख लेता हूँ  अब ये तुम्हारे तो किसी काम की नहीं  __________ __________ ______ ____ __________ ख्वाहिश है के उसका हर एक सपना समेट लूँ  हर दिन ए...