वीर हो तुम प्रबल रहो
वीर हो तुम प्रबल रहो अपने मन में तुम अटल रहो तुम बढो अपने शंखनाद में तुम चलो अपने अभिमान में तुम प्रेरणा के स्रोत बनो, तुम गर्व के अधिकारी बनो गर्व उन बातों का नहीं, जिनसे घृणा जन्में गर्व हो उन एहसासो का, जिनसे हृदय पिघलें आओ गर्व की ये परिभाषा गढ़ें, मन में लिए यह आशा बढ़ें वो सुन्दर स्वपन संजोया है जो, लिए उसकी अभिलाशा बढ़ें आओ सत्य के अनुयायी बनें निर्बल का बल बनें और बलवान का साहस जटिल बुद्धि का प्रयोजन बनें और नवयुवक का संयम आओ एक नयी दुनिया गढ़ें खुशहाल, बढ़ती, साँस लेती, जीवित और सच्ची कल्पनाओं से उपजि और यतार्थ में पलती भूत से बनें ज्ञानी और भविष्य से सृजन पर चित्त में आज रहे; कर्म करना याद रहे सोच हो वायु जैसी; हो वहाँ आवाश्यक, पर बाधित न करे प्रेरित करे, उत्साहित करे, उत्तेज्जित न करे स्वयं की शक्ति का तुम एहसास करो मुश्किल है काम; गिर पड़े तो क्या उठो! पुनः प्रयास करो और संग चलो; सब अपने हैं मिल कर करो, और खूब करो सामूहिक चेतना का कण बनो एक दूसरे का मनोबल बनो इस विशाल सुन्दर सृजनता के लिए हाथ लगेंगे, देह लगेंगी, निरन्तर अथ...